परिचय

सोमवार, 1 मार्च 2010

सभी बुड्ढे हुए जवान, इस होली में



क्यों सोता चद्दर तान ,इस होली में?
सभी बुड्ढे हुए जवान, इस होली में
बाहर निकल कर देख जरा तू
क्यों बॆठा हॆ,अपनी ही खोली में ?
किसने किसको कब,क्या बोला ?
मत रख अब तू ध्यान, इस होली में
खट्टा-कडवा ,अब कब तक बोलेगा?
मिश्री-सी दे तू घोल, अपनी बोली में
माना की जीवन में दु:ख ही दु:ख हॆ
अपनी गठरी दे तू खोल,इस होली में
न हिन्दू,न मुस्लिम, ,न सिख,न ईसाई
सभी बने जाते इन्सान, इस होली में.

7 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

क्यों सोता चद्दर तान ,इस होली में?
सभी बुड्ढे हुए जवान, इस होली में?
==
मैं तो कर रहा था इंतजार, इस होली में
जनाब ही न हुए दो चार, इस होली में

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

हम भी हुये गुलजार इस होली में.

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर संदेश!!


ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

-समीर लाल ’समीर’

36solutions ने कहा…

होली की शुभकामनांए.

Kuldeep Saini ने कहा…

न हिन्दू,न मुस्लिम, ,न सिख,न ईसाई
सभी बने जाते इन्सान, इस होली में.
bahut sundar likha hai

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

विनोद जी, जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

होली पर पर उत्तम संदेश देती कविता बहुत अच्छी है।