चेहरे पर मुस्कराहट चिपकी,मन अंदर से खाली-खाली
चारों ओर घुप्प-अंधेरा ,वो कहते आ गयी दिवाली
कहां गये वो खील-बतासे,कहां गये वो खेल-तमाशे?
कमर-तोड मंहगाई ने,कर दी सबकी हालत माली
कहने को साथ-साथ हॆं,हो जाती हर रात बात हॆ
फिर भी क्यों लगता हॆ? सब कुछ हॆ जाली-जाली.
इन्टरनेट के इस दॊर में,तू भी एक ई-मेल भेज दे
उसके पास समय कहां हॆ,चल बस हो गयी दिवाली.
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