परिचय

मंगलवार, 18 दिसंबर 2007

ओ मेरे अंकल! ओ मेरे नाना!! गया वो जमाना


ओ मेरे अंकल! ओ मेरे नाना!!
गया वो जमाना,गया वो जमाना
मोटा पहनना ऒर सादा खाना
गया वो जमाना,गया वो जमाना.

भजन-कीर्तन छोडो.’ईलू-ईलू’ गाओ
घर से कालेज कहकर ,पिक्चर में घुस जाओ
काहे का गाना,काहे का बजाना
ओ मेरे अंकल!ओ मेरे नाना.........

अरे! ’हलवा-पूरी’ छोडो,’फास्ट-फूड’खाओ
चार दिन की जिंदगी,खूब मॊज उडाओ
फाईफ-स्टार होटल में खाओ खाना
ओ मेरे अंकल!ओ मेरे नाना........

’राम-राम’ छोडो,’टाटा-बाय’ बोलो
जिससे हो मतलब,उसके पीछे होलो
अन्दर की बात को,कभी बाहर नहीं लाना
ओ मेरे अंकल! ओ मेरे नाना.......

गॆर हुआ वो,जो था कभी अपना
मुश्किल हो गया ’राम-नाम’जपना
हे ऊपरवाले! हो सके तो नीचे आना
ओ मेरे अंकल! ओ मेरे नाना.......
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1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

हकीकत के नजदीक, बधाई