परिचय

शुक्रवार, 29 जून 2007

मजबूत siढी

मजबूत सीढी

========

मॆं भी

अपनी इन बंद मुट्ठियों में

भर सकता हूं

सफलता का सम्पूर्ण इतिहास।

बन सकता हूं

चमकता सितारा

या फिर-

आकाश।

कोई मजबूत सी सीढी

मिल जाये

काश!

******

1 टिप्पणी:

Satyendra Prasad Srivastava ने कहा…

अच्छी कविता लिखी है। बिना सीढ़ी आजकल कुछ भी मुमकिन नहीं।