मेरे जीवन के खट्टे-मीठे
अनुभवों की काव्यात्मक
अभिव्यक्ती का संग्रह हॆ-
यह ’नया घर’.
हो सकता हॆ मेरा कोई अनुभव
आपके अनुभव से मेल खा जाये-
इसी आशा के साथ ’नया घर’
आपके हाथों में.
परिचय
बुधवार, 12 सितंबर 2007
हिन्दी पखवाडा
साहब ने- चपरासी को हिन्दी में फटकारा ’हिन्दी-स्टॆनों’ को पुचकारा ऒर-कलर्क को अंग्रेजी टिप्पणी के लिए लताडा. क्या करें ? मजबूरी हॆ- वो आजकल मना रहे हॆं ’हिन्दी-पखवाडा’. *********
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