परिचय

मंगलवार, 15 अप्रैल 2008

आज हिन्दी में ब्लागिंग का एक साल पूरा

मित्रों!
आज आप सभी के मार्ग-दर्शन ऒर सहयोग से हिन्दी-ब्लागिंग की दुनिया में मुझे एक साल पूरा हो गया हॆ.आज के दिन एक वर्ष पूर्व जब मॆंने ब्लागिंग की दुनिया में कदम रखा था, तो उस समय न तो मुझे कम्प्यूटर के संबंध में कोई तकनिकी जानकारी थी ऒर न ही अंग्रेजी भाषा में महारत हासिल थी(अभी भी नहीं हॆ),बस! एक भूत सवार था कि कुछ करना हॆ.श्रीश शर्मा(ई-पण्डित),रवि-रतलामी व शास्त्री जी फिलीप जॆसे तकनिकी गुरुऒं के आशिर्वाद से हिन्दी लेखन के संबंध में (वो भी बिना हिन्दी टंकन की जानकारी के)जो जानकारी मुझे मिली,उसी के आधार पर आज मेरे पास तीन ब्लाग हॆं-नया-घर,हस-गुल्ले व नास्तिक की डायरी.’नया-घर’ में, मेरी अभी तक की लिखी गयी नयी व पुरानी कवितायें हॆ.’हस-गुल्ले’पूरी तरह से हास्य-व्यंग्य को समर्पित ब्लाग हॆ, जिसमें मेरा कोई व्यंग्य-लेख भी हो सकता हॆ अथवा कोई सुना-सुनाया चुटकुला भी.
रही बात ’नास्तिक की डायरी’ की.उसमें अभी कुछ खास नहीं लिख पाया हूं.
मॆं, मूल रुप से अपने-आप को, साहित्य से जुडा हुआ व्यक्ति मानता हूं.ब्लागिंग के जरिये जिन साहित्यिक मित्रों से लेखन में मुझे बिशेष रुप से प्रोत्साहन मिला-उनमें घूघूती जी,उडन-तश्तरी वाले भाई समीरलाल जी,परमजीत बाली जी,सुनिता शानू जी( अन्य बहुत से मित्र जिनका नाम मुझे इस समय याद नहीं आ रहा हॆ)ने मेरी रचनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया देकर मेरा उत्साह बढाया.जिन साथियों ने मेरे ब्लाग पर आकर, समय-समय पर मेरी हॊसलाअफजाई की,उन सभी के नामों का उल्लेखं मॆं समयाभाव के कारण नहीं कर पा रहा हूं-इसलिए-अन्यथा न लें.आगे भी इसी तरह सहयोग बनाये रक्खें.
अच्छा ! शुभ रात्री !!