परिचय

शुक्रवार, 29 जून 2007

मजबूत siढी

मजबूत सीढी

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मॆं भी

अपनी इन बंद मुट्ठियों में

भर सकता हूं

सफलता का सम्पूर्ण इतिहास।

बन सकता हूं

चमकता सितारा

या फिर-

आकाश।

कोई मजबूत सी सीढी

मिल जाये

काश!

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मंगलवार, 26 जून 2007

तीन किस्म के जानवर

इस जंगल में
तीन किस्म के जानवर हॆं
पहले-
रॆंगते हॆं
दूसरे-
चलते हॆं
तीसरे-
दॊडते हॆं।
रॆंगने वाले-
चलना चाहते हॆं
चलने वाले-
दॊडना चाहते हॆं
लेकिन-
दॊडने वाले !
स्वयं नहीं जानते
कि वे
क्या चाहते हॆं?
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रविवार, 24 जून 2007

ऊपर uठो

ऊपर उठो
जरुर उठो
लेकिन-
इतना नहीं
कि-
लोग तुम्हें
छूना चाहें
तो छूं न सकें.
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नीचे झुको

नीचे झुको
जरुर झुको
लेकिन-
इतना नहीं
कि-फिर
उठना भी चाहो
तो उठ न सको.
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तेज चलो

तेज चलो
जरुर चलो
लेकिन-
इतना नहीं
कि ठोकर लगे
ऒर
बत्तीसी तुम्हारे हाथ में आ जाये.
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धीरे चलो

धीरे चलो
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धीरे चलो
जरुर चलो
लेकिन इतना नहीं
कि-
जिन्दगी की हर दॊड में
सबसे पीछे रह जाऒ.
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बुधवार, 6 जून 2007

सच्चा neता

सच्चा राष्ट्र-नेता
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अध्यापक ने-
छात्र से पूछा-
बताऒ बेटा
किसे कहते हॆं?
सच्चा राष्ट्र-नेता.
छात्र बोला-
गुरू- जो छोटी बात पर
लम्बा भाषण देता हॆ,
बहुत कुछ लेता हॆ
पर कुछ नहीं देता हॆ
समझो-
वही सच्चा राष्ट्र नेता हॆ.

सोमवार, 4 जून 2007

हे मेरे परम-पूज्य anधविश्वासी पिता !

हे मेरे परम-पूज्य अंधविश्वासी पिता !
कम से कम
अपने बुढापे का
मेरी जवानी का
कुछ तो ख्याल किया होता
सुरसा-मुख-सम
बढती जा रही
इस मंहगाई के युग में,
ज्यादा नहीं,
सिर्फ एक
अक्ल का काम किया होता.
बजाय-
इस क्रिकेट टीम के
चार सदस्यों का
सुखमय हमारा संसार होता.
खुद खा सकता
हमें खिला सकता
खुद डूबा
मुझे भी ले डूबा.
काश !
हमारी भूमिकाएं बदल जाती
जो हुआ
शायद वो सब न होता.
हे मेरे परम-पूज्य अंधविश्वासी पिता !
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