परिचय

शनिवार, 22 सितंबर 2007

दॊडो ! दॊडो !! दॊडॊ !!!

दॊडो ! दॊडो !! दॊडो !!!
ऎ नालायक घोडी-घोडो
देश के लिए दॊडो
दॊडॊ ! दॊडो !! दोडो !!!

कभी गांधी के लिए दॊडो
कभी नेहरू के लिए दॊडो
अपनी टांगे तोडो
दॊडो ! दॊडो !! दॊडो !!!

चोरों के लिए दॊडो
रिश्वतखोरों के लिए दॊडो
आपस में सिर फोडों
दॊडो ! दॊडो !! दॊडो !!!

बिरला के लिए दॊडो
टाटा के लिए दॊडो
ऎ भूखे-नंगे निगोडो
दॊडो ! दॊडो !!दॊडो !!!

व्यभिचारी के लिए दॊडो
आत्याचारी के लिए दॊडो
बेकारी से मुंह मोडो
दॊडो ! दॊडो !! दॊडो !!!

राजा के लिए दॊडो
रानी के लिए दॊडो
जनता की बातें छोडो
दॊडो ! दॊडो !! दॊडो !!!

मुर्दों के लिए दॊडो
खुदगर्जॊं के लिए दॊडो
शहीदों से नाता तोडो
दॊडो ! दॊडो !! दॊडो !!!

दॊड हर सवाल का हल
गरीबी पुर्वजन्मों का फल
अपनी-अपनी किस्मत फोडो
दॊडो! दॊडो !! दॊडो !!!

हॆ शरीर में जब तक रक्त
ठहर न जाये जब तक वकत
ऎ ठोकर खाये पथ के रोडो
दॊडो ! दोडो !! दोडो !!!
******

3 टिप्‍पणियां:

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

अब तो हिंदी जगत ब्लाग के लिए दौड़ रहा है
हिंदी वाला ऊंगलिया दबा दबा कर दौड़ रहा है
विश्व को प्यारी भाषा हिन्दी से जोड़ रहा है
विचारों के प्रकाशन के नियमों को तोड़ रहा है
दौड़ है ये सबसे न्यारी इसमें घोड़ा नहीं दौड़ रहा है

अविनाश वाचस्पति
9868166586

Asha Joglekar ने कहा…

आपकी टिप्पणी पढने के बाद आपके ब्ल़ॉग पर आई । आपकी कविताएँ बहुत सटीक है

हॆ शरीर में जब तक रक्त
ठहर न जाये जब तक वकत
ऎ ठोकर खाये पथ के रोडो
दॊडो ! दोडो !! दोडो !!!
******
वहुत अच्छे ।

राजीव तनेजा ने कहा…

दार्शनिक अन्दाज़ पसन्द आया....

बधाई स्वीकार करें