परिचय

शनिवार, 17 अक्तूबर 2009

आ गई दिवाली !



चेहरे पर मुस्कराहट चिपकी,मन अंदर से खाली-खाली


चारों ओर घुप्प-अंधेरा ,वो कहते आ गयी दिवाली

कहां गये वो खील-बतासे,कहां गये वो खेल-तमाशे?

कमर-तोड मंहगाई ने,कर दी सबकी हालत माली

कहने को साथ-साथ हॆं,हो जाती हर रात बात हॆ

फिर भी क्यों लगता हॆ? सब कुछ हॆ जाली-जाली.

इन्टरनेट के इस दॊर में,तू भी एक ई-मेल भेज दे

उसके पास समय कहां हॆ,चल बस हो गयी दिवाली.

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7 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

निशि दिन खिलता रहे आपका परिवार
चंहु दिशि फ़ैले आंगन मे सदा उजियार
खील पताशे मिठाई और धुम धड़ाके से
हिल-मिल मनाएं दीवाली का त्यौहार

dpkraj ने कहा…

आपको दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई.
दीपक भारतदीप

Udan Tashtari ने कहा…

सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

सादर

-समीर लाल 'समीर'

M VERMA ने कहा…

विनोद जी नमस्कार
दीपावली पर आपकी रचना नही पढ पाया
आशा है निरंतरता बनी रहेगी

Neha ने कहा…

dipawali par to aapki post nahi padh pai....lekin koi baat nahi....ye koi aisa topic nahi jo poorana ho...aur sach bataun to dilon me to ab tak dipawali ke diyon ki chamak barkaraar hai...aur nazron ko agli dipawali ka intazaar...

Udit Vashisht ने कहा…

Thanks for your lovely comments, its not about language, its about way of expression, and after visting ur blog i am so impressed by the way u have expressed yourself and d way u have designed your blog..... Get going..... Dark Khana is full of talent, hope whether it would be recongnised or not.... Thanks......

KK Yadav ने कहा…

@ पराशर जी,
आपकी इस सुन्दर रचना को पढने के बाद नव-वर्ष पर आपकी रचना का बेसब्री से इंतजार रहेगा.