परिचय

गुरुवार, 16 अगस्त 2007

कॆसे-कॆसे हादसे होने लगे हॆ आजकल ?

गजल
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कॆसे-कॆसे हादसे होने लगे हॆ आजकल
मल्लाह ही नाव को डुबोने लगे हॆं आजकल.

जहरीली हवा हुई तो दरखतों को दोष क्य़ोंPosted by Picasa
माली खुद विष-बेल बोने लगे हॆं आजकल।

घर के पहरेदारों की मुस्तॆदी तो देखिए
चॊखट पे सिर रखकर सोने लगे हॆं आजकल।

बंद मुट्ठियों के हॊसले जानते हॆं वो
उगलियों पर हमले होने लगे हॆं आजकल।

कल तक थे जो झुके-झुके से
तनकर खडे होने लगे हॆं आजकल।
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