परिचय

सोमवार, 13 अगस्त 2007

राजमाता ’हिन्दी’ की सवारी

होशियार ! खबरदार !!
आ रहे हॆं
राजमाता ’हिन्दी’ के शुभचिंतक
मॆडम ’अंग्रेजी’ के पहरेदार !
हर वर्ष की भांति
इस बार भी
ठीक १४ सितंबर को
राजमाता हिन्दी की सवारी
धूम-धाम से निकाली जायेगी
कुछ अंग्रेज-भक्त अफसरों की टोली
’हिन्दी-राग’ गायेगी।
दरबारियों से हॆ अनुरोध
उस दिन ’सेंडविच’ या ’हाट-डाग’
राजदरबार में लेकर न आयें।
’खीर-पकवान’ या ’रस-मलाई’ जॆसी
भारत स्वीट-डिश ही खायें।
आम जनता
खबरदार !
वॆसे तो हमने
चप्पे-चप्पे पर
बॆठा रखे हॆं-पहरेदार ।
फिर भी-
हो सकता हॆ
कोई सिरफिरा
उस दिन
अपने आप को
’हिन्दी-भक्त’ बताये
हमारे निस्वार्थ ’हिन्दी-प्रेम’ को
छल-प्रपंच या ढकोसला बताये।
कृपया-
ऎसी अनावश्यक बातों पर
अपने कान न लगायें
भूखे आयें
नंगे आयें
आखों वाले अंधे आयें
राजमाता ’हिन्दी’ का
गुणगान गायें।
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2 टिप्‍पणियां:

हरिराम ने कहा…

कविता अच्छी है। व्यंग्यात्मक पुट के साथ यथार्थवादी।

किन्तु हिन्दी को तो हम हिन्दीवालों ने ही बिगाड़, पिछाड़ रखा है, अपनी दुर्बुद्धि के कारण इसे "क्लिष्टतम" बना रखा है। समय पुकार रखा है कि इसे सरल और तकनीकी दृष्टि से सक्षम बनाएँ।

राजीव तनेजा ने कहा…

व्यंग्य से भरपूर...
यथार्थ को झलकाती सुलझी हुई सरल कविता

हिन्दी हैँ हम...
वतन है हिन्दोस्तां हमारा...