परिचय

बुधवार, 30 मई 2007

मॆ ऒर तुम

मॆं/नहीं चाहता
कि-तुम
ऒपचारिकता का लिबास/पहनकर
मेरे नजदीक आओ.
अपने होंठों पर
झूठ की लिपस्टिक/सजाकर
सच को झुठलाओ.
या फिर-
देह-यष्टि/चमकाने के लिए
सुगंधित साबुन
या फिर इत्र लगाओ.
मॆं/चाहता हूं
कि-तुम
अपनी असली झिलमिलाहट के साथ
मुझसे लिपट जाओ.
मेरे/सुसुप्त भावों को
कामदेव-सा जगाओ
ओर फिर-
दो डालें
हवा में लहराने लगें
होती हुई एकाकार.
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