मेरे जीवन के खट्टे-मीठे
अनुभवों की काव्यात्मक
अभिव्यक्ती का संग्रह हॆ-
यह ’नया घर’.
हो सकता हॆ मेरा कोई अनुभव
आपके अनुभव से मेल खा जाये-
इसी आशा के साथ ’नया घर’
आपके हाथों में.
परिचय
गुरुवार, 31 मई 2007
भिखारी
चुनाव के मॊसम में एक भिखारी मेरे दरवाजे पर आता हॆ भविष्य के- सुनहरे स्वप्न दिखाकर लूट ले जाता हॆ. *********
1 टिप्पणी:
बहुत बढिया लिखा है।बधाई।
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