परिचय

रविवार, 24 जून 2007

नीचे झुको

नीचे झुको
जरुर झुको
लेकिन-
इतना नहीं
कि-फिर
उठना भी चाहो
तो उठ न सको.
********

1 टिप्पणी:

Divine India ने कहा…

आपकी यह कविता भी मध्यम मार्ग पर आधारित है जो आज की जरुरत है जिसे हम मान नहीं रहे।
बहुत सुंदर्।