मेरे जीवन के खट्टे-मीठे
अनुभवों की काव्यात्मक
अभिव्यक्ती का संग्रह हॆ-
यह ’नया घर’.
हो सकता हॆ मेरा कोई अनुभव
आपके अनुभव से मेल खा जाये-
इसी आशा के साथ ’नया घर’
आपके हाथों में.
परिचय
गुरुवार, 24 मई 2007
dhabhasष
विरोधाभास ======= वो हमें निर्धन ऒर गरीब बताते हॆं। ऊपर उठाने के लिए सुन्दर,सुकोमल-स्वप्न दिखाते हॆं। लेकिन अफसोस- हमारे सामने ही झोली फॆलाते हॆं। ******
4 टिप्पणियां:
जनता को ऊपर उठाना है
नारा लगाते हैं
मौका मिलते ही
वायुयान में चढ़ कर
खुद
ऊँचे उठ जाते हैं
कड़ुवा सच है!
सही है.
बहुत बढिया!
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