परिचय

मंगलवार, 26 जून 2007

तीन किस्म के जानवर

इस जंगल में
तीन किस्म के जानवर हॆं
पहले-
रॆंगते हॆं
दूसरे-
चलते हॆं
तीसरे-
दॊडते हॆं।
रॆंगने वाले-
चलना चाहते हॆं
चलने वाले-
दॊडना चाहते हॆं
लेकिन-
दॊडने वाले !
स्वयं नहीं जानते
कि वे
क्या चाहते हॆं?
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2 टिप्‍पणियां:

आदिविद्रोही ने कहा…

कमाल करते हैं, हद है,

दौड़ने वाले उड़ने वालों को देखते हैं...

इतनी कविता नहीं बनी आपसे.

विनोद पाराशर ने कहा…

विद्रोही जी,
टिप्पणी के लिए धन्यवाद.उक्त कविता लगभग 20 साल पहले लिखी थी.उस समय जॆसी मन:स्थिती थी वॆसी लिखी गई.