परिचय

सोमवार, 23 अप्रैल 2007

जब भी कोई शख्स

जब भी कोई
हंसता,गाता
या रोता हॆ
या फिर
आंखों में नमी भर
परेशान होता हॆ
तब-तब मॆं
उसके कंधॊं के पास पहुंच
उस जॆसा हो जाता हूं
रोता,हंसता या गाता हूं
या फिर मॆं भी
नम आंखें ऒर
परेशानी का तूफ़ान
हाथों में उठाय़े
आकाश को कंपकंपाता हूं
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