मेरे जीवन के खट्टे-मीठे
अनुभवों की काव्यात्मक
अभिव्यक्ती का संग्रह हॆ-
यह ’नया घर’.
हो सकता हॆ मेरा कोई अनुभव
आपके अनुभव से मेल खा जाये-
इसी आशा के साथ ’नया घर’
आपके हाथों में.
परिचय
मंगलवार, 17 अप्रैल 2007
प्रश्न:एक
जब भी कलम उठाता हूं असंख्य प्रश्न मेरे चारो ऒर मुंह बाये खडे हो जाते हॆ। धीरे-धीरे कलम छोटी- ऒर प्रश्न बडे हो जाते हॆ। ***********
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें