मेरे जीवन के खट्टे-मीठे
अनुभवों की काव्यात्मक
अभिव्यक्ती का संग्रह हॆ-
यह ’नया घर’.
हो सकता हॆ मेरा कोई अनुभव
आपके अनुभव से मेल खा जाये-
इसी आशा के साथ ’नया घर’
आपके हाथों में.
परिचय
शुक्रवार, 27 अप्रैल 2007
thaboध
अर्थबोध ------- कुछ वर्ष पहले- सिफारिश,रिश्वत ऒर बेईमानी जॆसे आसान शब्दों के अर्थ पकडने के लिए मॆं इनके पीछे दॊडता था. लेकिन- अब ये शब्द अपने अर्थ समझाने के लिए मेरे पीछे दॊडते हॆ.
3 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा लिखा है ।
घुघूती बासूती
पहले भ्रष्टाचार को बुराई समझा जाता था, अब यह व्यवस्था का आवश्यक अंग बन गई हैं. जो नहीं मानेगा, उसे ये समझाने जरूर आएगी.
आपका ब्लागिंग की दुनिया मे सवागत है।
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