मेरे जीवन के खट्टे-मीठे
अनुभवों की काव्यात्मक
अभिव्यक्ती का संग्रह हॆ-
यह ’नया घर’.
हो सकता हॆ मेरा कोई अनुभव
आपके अनुभव से मेल खा जाये-
इसी आशा के साथ ’नया घर’
आपके हाथों में.
परिचय
मंगलवार, 17 अप्रैल 2007
प्रश्न:दो
प्रश्न-दर-प्रश्न प्रश्नों की एक अंतहीन कतार कई बार- जी चाहता हॆ फेंक दूं\ये कलम ऒर उठा लूं- मशाल. ****
विनोद जी आपकी सभी कविताएँ बहुत अच्छी हैं । मुझे दुख है कि मैं आपके ब्लौग पर आज तक न आ सकी । कृपया अपने ब्लौग को नारद पर पंजीकृत करवाएँ वहाँ क्योंकि हम सभी के ब्लौग हैं अतः जाना सरल होता है । आशा है आप इस ओर ध्यान देंगे । http://narad.akshargram.com/ घुघूती बासूती
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विनोद जी आपकी सभी कविताएँ बहुत अच्छी हैं । मुझे दुख है कि मैं आपके ब्लौग पर आज तक न आ सकी । कृपया अपने ब्लौग को नारद पर पंजीकृत करवाएँ वहाँ क्योंकि हम सभी के ब्लौग हैं अतः जाना सरल होता है । आशा है आप इस ओर ध्यान देंगे ।
http://narad.akshargram.com/
घुघूती बासूती
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